मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स (Master of Law) कैसे करें

मास्टर ऑफ़ लॉ (Master of Law) कोर्स एक पोस्ट ग्रेजुएट लेवल का कोर्स है जो आपको विशेष रूप से कानून के क्षेत्र में उन्नत ज्ञान के साथ अधिक संगठित तरीके से सीखने की सुविधा प्रदान करता है। इस डिग्री को प्राप्त करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होता है:

  1. ग्रेजुएशन की उपस्थिति: मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स के लिए, आपको स्नातक (बैचलर) ऑफ़ लॉ (LL.B.) में उत्तीर्ण उपस्थिति की आवश्यकता होती है। और कुछ विश्वविद्यालयों में, स्नातक (बैचलर) की डिग्री के साथ आवश्यक श्रेणी अंक की आवश्यकता होती है।
  2. एंट्रेंस एग्जाम: कुछ विश्वविद्यालयों में, आपको मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है । इस परीक्षा का उद्देश्य आपकी कानूनी ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन करना होता है।
  3. विश्वविद्यालय का चयन: एंट्रेंस एग्जाम के बाद, आपको किसी विश्वविद्यालय का चयन करना होता है, जो मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स प्रदान करता है। 

मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स क्या है?

मास्टर ऑफ़ लॉ (Master of Law) कोर्स एक पोस्ट ग्रेजुएट लेवल का कोर्स है जो विशेष रूप से कानून के क्षेत्र में विस्तृत ज्ञान और कौशल प्रदान करता है। यह एक उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम होता है जिसमें विधि के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की जाती है, जैसे कि संविधान, सामान्य विधि, न्यायाधीशों और कानूनी नीतियों के विषय में।

यह कोर्स एक साल से लेकर तीन साल तक का होता है, जो कि विश्वविद्यालय और देश के निर्देशान के आधार पर भिन्न होता है। इसके अलावा, कुछ कॉलेज और विश्वविद्यालयों में स्पेशलाइजेशन कोर्सेज भी उपलब्ध होते हैं, जैसे मीडिया लॉ, आईपीआर, कॉर्पोरेट लॉ, न्याय आदि।

इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उन्नत कानूनी ज्ञान और अनुभव प्रदान करना होता है जो उन्हें उच्च स्तर की कानूनी सेवाओं के लिए तैयार करता है।

योग्यता

मास्टर ऑफ़ लॉ (Master of Law) कोर्स के लिए योग्यता विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थाओं के आधार पर भिन्न होती है। यह निम्नलिखित रूपों में प्रदान की जा सकती है:

  • स्नातकोत्तर या बीएलएल डिग्री – बहुत से विश्वविद्यालय मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए एक स्नातकोत्तर या बीएलएल डिग्री की आवश्यकता होती है।
  • अनुभव – कुछ संस्थान उन छात्रों को भी प्रवेश देते हैं जिन्होंने कानून के क्षेत्र में व्यावसायिक अनुभव प्राप्त किया हो।
  • अन्य योग्यता – कुछ विश्वविद्यालय विषेश योग्यताएं भी मांगते हैं, जैसे कि एलएसएटी, जेएलपी, डीएलएल या कोई अन्य योग्यता।

इसलिए, आपको अपने इच्छित विश्वविद्यालय या संस्थान के वेबसाइट के माध्यम से न्यूनतम योग्यता और दस्तावेजों की जांच कर लेनी चाहिए।

मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए परीक्षाएँ कौन-कौन से है ?

मास्टर ऑफ़ लॉ (Master of Law) कोर्स में प्रवेश के लिए कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा एक एंट्रेंस परीक्षा आयोजित की जाती है जैसे कि CLAT (Common Law Admission Test), AILET (All India Law Entrance Test), LSAT (Law School Admission Test) और DU LLM Entrance Exam (Delhi University LLM Entrance Exam) आदि। इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के बाद छात्रों को विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थाओं की तरफ से सलाहकार और एडमिशन प्रक्रिया के लिए बुलाया जाता है।

हालांकि, कुछ विश्वविद्यालय और संस्थान एंट्रेंस परीक्षा के बिना भी एडमिशन प्रदान करते हैं जो कि छात्रों की बीएलएल डिग्री या संबंधित डिप्लोमा अथवा सर्टिफिकेट और उनके विषय में उनके विवेक के आधार पर दिया जाता है। इसलिए, आपको अपने इच्छित विश्वविद्यालय या संस्थान के वेबसाइट के माध्यम से उनकी एडमिशन प्रक्रिया और शर्तों की जांच कर लेनी चाहिए।

मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स में प्रवेश के लिए प्रक्रियाएँ क्या है?

मास्टर ऑफ़ लॉ (Master of Law) कोर्स में प्रवेश के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं होती हैं:

  1. एंट्रेंस परीक्षा देना: कुछ विश्वविद्यालय एंट्रेंस परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसमें छात्रों को विभिन्न विषयों से संबंधित प्रश्नों का सामना करना पड़ता है। परीक्षा का पैटर्न और योग्यता आवश्यकताएं विश्वविद्यालयों और संस्थानों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
  2. मेरिट-आधारित एडमिशन: कुछ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में एंट्रेंस परीक्षा के अलावा मेरिट-आधारित एडमिशन भी होता है। इसमें, छात्रों के बीएलएल या संबंधित डिग्री या सर्टिफिकेट के अंक या प्रतिशत के आधार पर एडमिशन दिया जाता है।
  3. इंटरव्यू: कुछ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में, एंट्रेंस परीक्षा के बाद छात्रों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। यह इंटरव्यू, छात्रों के व्यक्तिगत विकास, उनके विषय में ज्ञान और उनकी पेशेवर योग्यता के आधार पर लिया जाता है। 

मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स के सब्जेक्ट क्या-क्या है?

एलएलएम पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम कॉलेज के आधारित भिन्न होता है।और एलएलएम पाठ्यक्रम विशेषता के आधारित नीचे विषयों की जानकारी दी गई है:

एलएलएम (बिजनेस लॉ):

  • भारत में कानून और सामाजिक परिवर्तन
  • भारतीय संवैधानिक कानून: नई चुनौतियां
  • न्यायिक प्रक्रिया
  • कानूनी शिक्षा और अनुसंधान पद्धति
  • औद्योगिक और बौद्धिक संपदा का कानून
  • नियामक प्राधिकरणों से संबंधित कानून
  • वाणिज्यिक मध्यस्थता
  • वैकल्पिक विवाद समाधान और प्रतिभूति कानून
  • पर्यावरण कानून
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून
  • व्यापार कानून
  • बीमा कानून
  • आर्थिक उद्यमों का कानूनी विनियमन

एलएलएम (संवैधानिक कानून):

  • भारत में कानून और सामाजिक परिवर्तन
  • संविधानवाद: बहुलवाद और संघवाद
  • भारतीय संवैधानिक कानून- नई चुनौतियां
  • मानव अधिकार
  • निबंध
  • प्रशासनिक व्यवस्था
  • प्रशासनिक प्रक्रिया और न्यायिक नियंत्रण
  • राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और कानून का शासन
  • न्यायिक प्रक्रिया
  • मास मीडिया कानून
  • अनुसंधान क्रियाविधि

एलएलएम (आपराधिक कानून):

  • कानून के सिद्धांत
  • अनुसंधान क्रियाविधि
  • बैंकिंग कानून
  • कॉर्पोरेट न्यायशास्त्र
  • कानूनी अवधारणाएँ
  • प्रतिस्पर्धी कानून
  • उपभोक्ता कानून
  • विधायी प्रक्रिया
  • कॉर्पोरेट नियम
  • जीवन और अग्नि बीमा
  • न्यायिक प्रक्रिया
  • बौद्धिक संपदा कानून

एलएलएम (परिवार कानून):

  • फैमिली लॉ I – सिस्टम स्कोप स्रोत और स्कूल
  • पारिवारिक कानून II – विवाह और वैवाहिक उपचार
  • तुलनात्मक सार्वजनिक कानून
  • वैश्वीकरण की दुनिया में कानून और न्याय
  • कानूनी अंग्रेजी और अनुसंधान पद्धति
  • विदेशी व्यापार भाषा
  • पारिवारिक कानून III – परमाणु और विस्तारित पारिवारिक अधिकार
  • पारिवारिक कानून IV – पारिवारिक मामलों पर दंडात्मक कानून
  • पारिवारिक कानून वी – पारिवारिक संपत्ति और उत्तराधिकार
  • पारिवारिक कानून VI – पारिवारिक विवाद समाधान
  • विदेशी व्यापार भाषा

एलएलएम (मानवाधिकार):

  • अधिकारों की अवधारणा और वर्गीकरण
  • मानव अधिकारों की अवधारणा
  • मानव कर्तव्यों की अवधारणा
  • न्यायशास्त्र और मानवाधिकार: लेगो दार्शनिक दृष्टिकोण
  • भारत में मानवाधिकारों का संवैधानिक शासन
  • शरणार्थी कानून
  • मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य: कार्यान्वयन तंत्र
  • अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून
  • आत्मनिर्णय के लिए लोगों का अधिकार
  • निबंध अनुसंधान
  • मानव अधिकारों की द्वंद्वात्मकता
  • मानव अधिकारों की उभरती अवधारणा
  • मानव कर्तव्य, उत्तरदायित्व और इसका प्रभाव
  • अंतर्राष्ट्रीय दायित्व
  • मानवाधिकार और आपराधिक न्याय

एलएलएम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून:

  • समुद्री बीमा
  • चार्टर पार्टियां: कानून और अभ्यास
  • ई-कॉमर्स
  • अंतर्राष्ट्रीय मुकदमेबाजी और मध्यस्थता
  • परिचय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून
  • अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग और वाणिज्यिक भुगतान में कानून और अभ्यास
  • विश्व व्यापार कानून

भारत में मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स के लिए विभिन्न कॉलेजों की सूची। 

भारत में लॉ कोर्स के लिए विभिन्न कॉलेजों में मास्टर ऑफ लॉ कोर्स (LLM) उपलब्ध हैं। यहां कुछ शीर्ष कॉलेजों की सूची दी गई है:

  1. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलौर
  2. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर
  3. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुरिडिकल साइंस, रायपुर
  4. नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट, कोलकाता
  5. सिटी यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क
  6. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डी.सी.
  7. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  8. सीसीसी लॉ कॉलेज, बंबई
  9. गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर
  10. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, कट्टक

इन कॉलेजों के अलावा, भारत में अन्य कॉलेजों में भी एलएलएम कोर्स उपलब्ध हैं। आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके इलाके में कौन से कॉलेजों में एलएलएम कोर्स उपलब्ध हैं, इसके लिए, आप अपने राज्य के शैक्षणिक विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

फीस

भारत में एलएलएम कोर्स की फीस विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में भिन्न हो सकती है। इसके अलावा, यह भी निर्धारित करने में मदद करता है कि आप किस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एलएलएम कोर्स करने जा रहे हैं।

भारत में एलएलएम कोर्स की अनुमानित फीस राशि 50,000 रुपये से शुरू होती है और 3 लाख रुपये तक जा सकती है। हालांकि, यह फीस विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में भिन्न हो सकती है और इसमें कॉलेज या यूनिवर्सिटी की स्थापना, पाठ्यक्रम की विवरण, विषय, अध्ययन की अवधि, सुविधाएं आदि शामिल होती हैं।

आपको एलएलएम कोर्स के लिए चयन करते समय, फीस संबंधी जानकारी के साथ-साथ अन्य प्रमुख विवरणों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

मास्टर ऑफ़ लॉ कोर्स को करने के बाद कैरियर संभावनाएं क्या है?

भारत में मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के बाद करियर संभावनाएं काफी विस्तृत हैं। निम्नलिखित कुछ उदाहरण उन संभावनाओं में से हैं:

  • वकील: एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र एवं छात्राएं वकील बन सकते हैं। वे न्यायाधीश, सचिव, उच्चाधिकारी या वकालत के रूप में काम कर सकते हैं।
  • सरकारी नौकरियां: एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र एवं छात्राएं सरकारी सेवाओं में भी नौकरी कर सकते हैं। उन्हें विभिन्न संगठनों जैसे कि जज, विधि सलाहकार, शासनाधिकारी, राज्य सेवा आदि में भी नौकरी के अवसर होते हैं।
  • कंसल्टेंट और सलाहकार: एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र एवं छात्राएं निजी कंसल्टेंट या सलाहकार के रूप में भी काम कर सकते हैं। वे विभिन्न संगठनों और उद्योगों में लीगल सलाह दे सकते हैं।
  • शिक्षण संस्थानों में शिक्षक: एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र एवं छात्राएं शिक्षक के रूप में भी काम कर सकते हैं। वे विभिन्न विषयों में शिक्षण दे सकते है हैं। 

गवर्नमेंट सेक्टर में जॉब्स:

मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के उत्तीर्ण छात्र गवर्नमेंट सेक्टर में भी कई रोजगार विकल्पों के लिए पात्र होते हैं। निम्नलिखित कुछ उदाहरण उन जॉब्स में से हैं:

  • न्यायिक सेवा: मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के उत्तीर्ण छात्रों को न्यायिक सेवा में भर्ती किया जा सकता है। इसमें न्यायाधीश, सहायक न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय के अधिकारी शामिल हो सकते हैं।
  • वकालत: मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के उत्तीर्ण छात्र वकालत की तरफ भी जा सकते हैं। इसमें उन्हें निजी वकालत, सार्वजनिक प्रकरण या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त वकील की तरह काम करने का मौका मिल सकता है। 
  • विभिन्न विभागों में अधिकारी: मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के उत्तीर्ण छात्र विभिन्न विभागों में अधिकारी की तरह काम कर सकते हैं। इसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों जैसे कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय, केंद्रीय नियामक आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग आदि शामिल हो सकते हैं

प्राइवेट सेक्टर में जॉब्स:

मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के बाद प्राइवेट सेक्टर में कई जॉब ऑप्शन उपलब्ध होते हैं। निम्नलिखित कुछ उदाहरण उन जॉब्स में से हैं:

  • कंपनी के विधिक विभाग में काम करना: कंपनियों में विधिक विभाग होता है, जहाँ एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र निजी कंपनियों में लीगल सलाह देने वाले लोगों की तरह काम कर सकते हैं।
  • बैंकों में न्यायाधीश या लीगल एडवाइजर: बैंकों में लीगल एडवाइजर की जरूरत होती है जो कंपनी को विधिक मामलों के बारे में सलाह देते हैं। एलएलएम के उत्तीर्ण छात्र इस जॉब के लिए अपना चयन कर सकते हैं।
  • फाइनेंस और बीमा कंपनियों में लीगल एडवाइजर: फाइनेंस और बीमा कंपनियों में भी न्यायाधीश या लीगल एडवाइजर की आवश्यकता होती है।
  • एलएलएम फर्मों में न्यायाधीश, विधि सलाहकार, सहायक वकील या पार्टनर: एलएलएम फर्मों में न्यायाधीश, विधि सलाहकार, सहायक वकील या पार्टनर की तरह काम करने के लिए भी एलएलएम की जरुरत होती है। 

वेतन

मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के बाद वेतन व्यक्ति के करियर और नौकरी के प्रकार पर भिन्न होता है। यह उत्तर प्रदान करने से पहले मैं बताना चाहूंगा कि इसमें न्यूनतम और अधिकतम वेतन का कोई आधिकारिक स्तर नहीं होता है। वेतन उन्नति के अनुसार बदलता रहता है और यह व्यक्ति की क्षमताओं, अनुभव और क्षेत्र के आधार पर भी भिन्न होता है।

इसलिए, कुछ लोगों के लिए इस कोर्स के बाद वेतन कम हो सकता है, जबकि कुछ लोग अधिक वेतन प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, वेतन के मामले में निम्नलिखित कुछ उदाहरण हैं:

  • न्यायिक सेवा: न्यायिक सेवा में मास्टर ऑफ लॉ कोर्स के उत्तीर्ण छात्रों का वेतन अधिक होता है। न्यायिक सेवा में शुरुआती वेतन लगभग 27,700 रुपये से शुरू होता है और इसमें अन्य भत्ते भी शामिल होते हैं।
  • कंपनी वकील: कंपनी वकील के रूप में काम करने वाले व्यक्तियों के वेतन भी अधिक होते हैं। यह उनके काम के प्रकार, कंपनी के आकार और उस कंपनी के व्यवसाय पर आधारित होता है। 

Deepak Kumar

मेरा नाम दीपक कुमार हैं। मैं एक ऑथर और फाउंडर हूँ जो padhaiwale.in ब्लॉग वेबसाइट को चलाते है। मैं एक SEO Expert भी हूँ और मैं 10 साल से काम कर रहे हैं। मुझे SEO में Onpage SEO, Offpage SEO और Technical SEO का अनुभव हैं।

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